Saturday, July 31, 2010

विदा कर दे

नही है मुझसे इश्क़ तो
मुझे दिल से जुदा कर दे

जिंदा लाश बन गई हूं
मेरा कोई तो फ़ैसला कर दे

तू वफ़ा ना कर पाया तो क्या
मेरी ही वफ़ा का हक अदा कर दे

नही जीने की चाहत है मेरे साथ
तो देकर मेरे जनाजे को कन्धा
मुझे अपनी दुनिया से विदा कर दे


पूजा तोमर
**********मंजिल**********

मंजिलो की चाह रखने वाले
कभी उदास नही होते

कामयाबी उन्ही के कदम चूमति है
जो कभी हार से निराश नही होते

अंधेरो मे भी ढूंढ लेते है मंजिल
जुगनु कभी रोशनी के मोहताज नही होते

अपनी मेहनत से पा लेते है जन्नते
मां के पेट से पैदा लेकर तख्तो ताज नही होते

दिन रात जगते है सपनो को पूरा करने के लिये
क्योंकि सोने से पूरे कभी ख्वाब नही होते

सिर्फ़ वही आदर्श बनते है
जिनके ख्वाब बे-हिसाब नही होते


पूजा तोमर
``````बसेरा````````

उसके साथ बसने के ख्वाब मे
हम बेमकां रह गये.......

कह कर मेरा इन्तजार कर,
वो खुद तो चल दिया,
हम जहाँ थे वहाँ रह गये.......

उसकी मोह्ब्बत किताबी थी,
जब् उस पर मेरे अश्क पडे
तो काले निशां रह गये.......

बहुत सोचकर उन्हे भूलना चाहा,
अश्को के साथ बहना चाहा,
मगर जख्म यादो के अयां रह गये.......

उसके साथ बसने के ख्वाब मे
हम बेमकां रह गये.......

पूजा तोमर
कत्ल

जिनको माना था अपना,
कभी उनके चेहरे कभी
दिल बदल गये.......

सागर के यकीन पर हमने
तूफ़ान मे कश्ती उतार दी,
सागर ने तो साथ निभा दिया,
पर साहिल बदल गये.......

मेरा इश्क़ ही मेरी खुदाई थी,
मगर मुझे मिलनी जुदाई थी,
जिसके लिये खुद को बदला,
वो गैरो की खातिर बदल गये.......

एक आखिरी आरजू थी,
की उनकी बाहों मे हम मरे,
मगर मेरा कत्ल भी किश्तो मे हुआ,
खंज़र बदल गये कभी कातिल बदल गये.......

जिनको माना था अपना,
कभी उनके चेहरे कभी
दिल बदल गये.......


पूजा तोमर

Saturday, July 24, 2010

****तालाश क****

मुसाफिर बहुत उड़ लिया चाहतो के आसमान मे,
अब जीने के लिए ज़मी की तालाश कर...........

क्यों परदेश जा रहा है तू,
बड़े ही कीमती पल गवा रहा है तू,
सब कुछ ही इस सरजमी पर है,
न कही और कुछ तालाश कर...........

बिना मेहनत के यहाँ बुराई भी
हासिल नहीं होती,
मंजिले कभी बुजदिलों के काबिल नहीं होती,
सागर की लहरे कभी साहिल नहीं होती,
मत होंसला तू हार अपनी मंजिल की तालाश कर..........

अगर हर आरजू पूरी हो जाये
तो जीने मे क्या मजा है,
तेरे हर अंजाम मे मालिक
की भी रजा है,
रास्तें खुद-बा-खुद आसान हो जायेंगे,
बस एक सच्चे हमसफ़र की तालाश कर............

मुसाफिर बहुत उड़ लिया चाहतो के आसमान मै,
अब जीने के लिए ज़मी की तालाश कर...........

पूजा तोमर

Friday, July 23, 2010

चे ह रे

लोग चेहरों से पहचान बनाते हैं
मगर हम दिल में,
दिल से
हर दोस्त को बसाते हैं
डर लगता है
चेहरों की पहचान कहीं खो न जाएं
ये तो दुनिया है
इस में कुछ भी
कहीं हो जाए
हम तो बस इसी डर से
अपना चहरा छुपाते हैं

हम भी कोई बुरे तो नहीं है
हम को बस चेहरे बदलना नहीं आता
मगर कोई न कोई हम को
इस बात का अहसास दिला देता है
जिन को अपना समझो
एक ही पल में
यहां उन के चेहरे बदल जाते हैं

कोई आंखों को सागर- सा समझ लेता है
कोई बालों को घटा बना देता है
कोई तुम को रूप की देवी बता देता है
मगर यही लोग
तुम को आंसुओं में डुबो देते हैं

हम तो बस इसी डर से अपना चेहरा छुपाते हैं

पूजा तोमर

Thursday, July 22, 2010

मेरी सादगी

मेरी सादगी मेरी ख़ता बन गयी,
मेरी सच्चाई मेरी सजा बन गयी.........

लोगो के चेहरे कई होते है,
हर चहरे के पीछे कई धोखे है,
मैंने न बदला अपना चेहरा,
यही आदत मेरी तन्हाई की वजह बन गयी..........

लोग चेहरे से प्यार करते है,
लोग चेहरे पर मरते है,
मैंने दिल से किसी को चाहा,
बस यही बात मेरी रुसवाई कर गयी........

मेरे दिल मे था वही चेहरे से नज़र आता था,
मेरा चेहरा मेरा हाले दिल बताता था,
उसकी नज़रो को सब पता था,
पर एन मौके पर उसकी नज़रे बेवफाई कर गयी.........

मेरी सादगी मेरी ख़ता बन गयी,
मेरी सच्चाई मेरी सजा बन गयी.........

पूजा तोमर
अश्क

मेरे आंख से गिरते हुए अश्क ने कहा,
तेरी आने वाली ख़ुशी का रहबर हू मै........

गिरके तुझसे जुदा नहीं हो सकता,
तेरे दिल के अन्दर हू मै........

कहाँ जायूँगा तुझसे जुदा होकर,
जो तेरे साथ रहेगा मरते दम तक वो उमर हू मै........

मुझे कुछ गलत न समझना,
तुझमे बसी यादो का झूमर हू मै........

तेरे नाराजगी, तेरे होठों की हंसी,
तेरे सुख, तेरे दुःख का हमसफ़र हू मै........

जिसको देखती ही तू सब भूल गए थी,
वो एक नज़र हू मै........

मेरे आंख से गिरते हुए अश्क ने कहा,
तेरी आने वाली ख़ुशी का रहबर हू मै........


पूजा तोमर
****जी लिए****

पल जो तेरी बाँहों मे हमने जी लिए,
ऐसा लगा जैसे जन्मो-जन्म जी लिए.......

हवा के झोके ने गिरा दिया फूल को डाली से,
डाली रोकर ये बोली तुम मेरे साथ कुछ कम जिए,
फूल ने हसकर कहा हम तो जी भर के कसम जी लिए......

रोना आता ही नहीं था,
हमने कभी गम देखा ही नहीं था,
तुझसे बिछुड़ते सारे एकदम जी लिए.........

एक फरीश्ते ने हमसे पूछा,
तुने कभी प्यार किया है?
ये सुनते है तेरे साथ फिर से एक जन्म जी लिए.........

तेरे साथ जो वक़्त बिताया मैंने,
वो तेरे लिए कम था,
मगर बस इतनी सी मेरी ज़िंदगी थी,
करके ये भरम हम जी लिए..........

पल जो तेरी बाँहों मे हमने जी लिए,
ऐसा लगा जैसे जन्मो-जन्म जी लिए.......


पूजा तोमर
अच्छा लगा

आज फिर से कुछ अच्छा लगा
आज फिर तेरी याद का आना अच्छा लगा......

आँखों को जब छुआ नमकीन आंसुओ ने
उन तपती आँखों से उठता धुआ अच्छा लगा......

जो आईना मेरे सूरत छिपता था मुझसे
उस धुन्दले आईने का टूटना अच्छा लगा........

चारो तरफ अँधेरा है मगर
दिल के एक कोने मे जलाता हुआ दिया अच्छा लगा........

हम रोते हुए बारिश मे चल रहे थे
ऐसे मे बारिश का रूठना हमसे अच्छा लगा.......

मेरा तो सब कुछ मिट गया
उसके बाद भी देखना तेरा निंशा अच्छा लगा.......

आज फिर से कुछ अच्छा लगा
आज फिर तेरी याद का आना अच्छा लगा......


पूजा तोमर
जीवन के सफ़र मे

अपने जीवन के सफ़र मे,
बहुत कुछ देखा है मैंने..........

जो चेहरे आपकी पहचान होते है,
उन्ही चेहरों का भाव तेजी से बदलते देखा है मैंने..........

जिस पर खुद से ज्यादा भरोसा था,
उसी विश्वास को हर बार टूटते देखा है मैंने...........

जो मेरे साथ रहता था ,
उसे ही हर पल खुद से बिछुड़ते देखा है मैंने..........

जिसे मुझसे प्यार बेशुमार था,
उसी प्यार का स्थान झूठी सहानभूति को लेते देखा है मैंने..........

जिसे दिल से अपना माना था,
उसी को को खुद से छुटते देखा है मैंने..........

वो मुझसे दूर हो गया,
फिर भी हर जगह उसको ही देखा है मैंने..........

अपने जीवन के सफ़र मे,
बहुत कुछ देखा है मैंने..........

पूजा तोमर

Wednesday, July 21, 2010

पर्वत

मुझे गमो ने पर्वत बना दिया है,
मेरा क्या बिगाड़ेगी भला आंधिया........

मेरे आँगन के पेड़ से रोज गिरती है सुखी पात्तिया,
उनके गिरने से ही चलती है पेड़ की दुनिया.......

नदी को देखो अपनी मौज मे ही चलती रही,
पत्थर से टकराकर मरती रही मछलिया....

गिरके रस्सी से गिर के नट तड़पता रहा,
लोग बजाते रहे तालियाँ........

मेरी शायरी है सूरज,
मै हो उसकी किरण,
मुझे क्या रोकेंगी,
कांच की खिडकिया..........

सुख दुःख दोनों ही है,
जीवन के पहलू,
दोनों ही लाते है तब्दीलियाँ........

मेरा जीवन भी कुछ ऐसा ही है,
गम ख़ुशी दोनों से है,
मेरी नजदीकियां.........

मुझ पर हर मौसम ने वार किया,
मैंने खुद को हर बार तैय्यार किया,
अब तो साथी बन चुकी है परेशानिया.......

मुझे गमो ने पर्वत बना दिया है,
मेरा क्या बिगाड़ेगी भला आंधिया........


पूजा तोमर

Tuesday, July 20, 2010

आसान नहीं

तुझसे प्यार करके, तुझपे मरके, तुझे भुलाना,
दिल के लिए आसान नहीं........

इस दिल की क्या हालत है,
लफ्जो मे बताना,
इस दिल के लिए आसान नहीं......

प्यार की कैसे रीत है देखो,
हर किसी की जीत है देखो,
लेकिन ये सब समाझपाना,
इस दिल के लिए आसान नहीं......

रास्ता भी एक था,
चाहत भी एक ही थी,
फिर भी मंजिल को पाना,
इस दिल के लिए आसान नहीं......

तुने अपनी दुनिया बसाली,
रोज मनाये होली दिवाली,
पर अब फिर से जी पाना,
इस दिल के लिए आसान नहीं......

तुझसे प्यार करके, तुझपे मरके, तुझे भुलाना,
दिल के लिए आसान नहीं........

पूजा तोमर

Monday, July 19, 2010

आंधी

तेरे जाने के बाद,
तेरी यादो की आंधी आई.......

हमने सोचा था वो अकेले ही होगी,
लेकिन वो साथ अपने,
कभी तिनके, कभी पत्ते कभी तेरी खुशबू लायी..........

न जाने कैसा वो मिलना था,
कैसा बिछड़ना था,
की तेरी आंधी भी कभी नहीं तनहा आई..........

झुकती डाल को सबने झुकाया है,
मगर उसके झुकने का कारण,
दुनिया न समझ पाई..........

तेरा मिलना एक पल का था,
अब बिछड़ना सदियों जैसा,
मुझसे लिपटकर अब उमरभर रोएगी,
मेरी तन्हाई.........

अजब कलाकार था वो भी यारो,
हमेशा आँखे चुराता था मुझसे,
दिल मे क्या है उसके,
आँखों से न मे देख पाई..........

कोई माने या ना माने,
उसकी ही रौशनी है मुझमे,
जो है समायी..............

तेरे जाने के बाद,
तेरी यादो की आंधी आई.......

पूजा तोमर
वो सवाल हो तुम

जबाब जिसका नहीं वो सवाल हो तुम,
मैं जिसे भुला नहीं सकती वो ख्याल हो तुम...........

मुझसे मेरा मैं पूछता है,
दिल में बस यही सावल गूंजता है,
की उसमे ऐसा क्या है,
गम के सिवाये वो तुझे देता क्या है,
चुपके से दिल कहता है मेरा,
मैं कर नहीं सकती दोबारा,
वो प्यार हो तुम...........

रातें कटती है मेरी रोते-रोते,
दिन गुज़रता है यादो में खोते-खोते ,
जाने ये रोग कैसा लग गया है,
किस जाल में दिल फस गया है,
पाना चाहती हु मगर पा नहीं सकती,
कहना चाहती हो मगर कह नहीं सकती,
बस हर पर करती जिसका बेसब्री से,
वो इंतज़ार हो तुम...........

आज तो मेरे पास नहीं,
मेरी चाहत को तुझको एहसास नहीं,
तेरे दिल में मेरे लिए जज्बात नहीं,
मै तेरे लिए कुछ खास नहीं,
पर मै जिसके सहारे जीती हो,
वो ऐतबार हो तुम...............

मगर जो सामने मेरे हँसता है,
हर कौने मे दिल के बस्ता है,
कभी हवा कभी आंधी बनकर गुज़रता है,
वो ख़ुशी,वो हंसी,वो गम, वो तड़प,
वो प्यार, वो बेचनी, वो ख़ामोशी और
वो करार हो तुम.................

जबाब जिसका नहीं वो सवाल हो तुम,
मैं जिसे भुला नहीं सकती वो ख्याल हो तुम...........

पूजा तोमर
****तारीफ****

अपने प्यार की क्या तारीफ़ करो,
मुझे हर तारीफ कम सी लगी.....

आँखे प्यार का सागर,
बातें करती है पागल,
उन से जो मिल जाये हो जाये घायल,
उनकी सूरत मुझे एक भ्रम सी लगे......

दिल है प्यार की गागर,
प्यार झलके है हर पल,
देखे जिसको नज़र भर,
उनका हो जाये कायल,
पर उन्हें देखने में हमे शर्म सी लगे......

चेहरा है एक राज गेहरा,
स्वाभाव से चालू ठेहरा,
उसका हर काम नहले पर देहला,
प्यार है वो मेरा पहला-पहला,
उसके बिना बहार भी पतझड़ का मौसम सी लगे.......

भगवान ने दिया है सारा दिमाग उनको,
समेटा हुआ है अपने अन्दर गुण को,
बिन बोले आँखों से सब कह जाते,
बिन कहे हमारी हर बात समझ जाते,
उनकी हर बात, हर अदा,
सुलझी उलझन सी लगे.......

उनके बिना हम जीने की सोच भी नहीं सकते,
उनके बिना हर ख़ुशी नम-नम सी लगे.........

अपने प्यार की क्या तारीफ़ करो,
मुझे हर तारीफ कम सी लगी.....

पूजा तोमर
बनना चाहती हूं

मै एक दीपक बनना चाहती हूं ,
खुद जलकर दुनिया को रोशन करना चाहती
हूं ............

रास्ते मै एक कुटिया है,
उसमे एक छोटी सी एक बिटिया है,
उनके चहेरे पर मुस्कान देखे सदिया बीत गयी,
मैं उनके चेहरे की मुस्कान बनना चाहती
हूं ................

एक बच्चा जो उम्र से पहले बड़ा हो गया,
न चाहते हुए भी पेरो पर खड़ा हो गया,
जो खुद छोटा है काम बड़ा करता है,
जो उसे उसका बचपन लौटा सके,
वो इंसान बनना चाहती
हूं ................

एक औरत जो दहेज़ के आड़ मै पिटती है,
रोज अपने ही घर मै घुटती है,
उसे उसका हक़ जो समझा सके,
वो इन्साफ बनना चाहती
हूं ................

एक मां बाप जो आज भी औलाद के इंतज़ार मे है,
और औलाद पैसे के खुमार मे है,
जो उनको माँ बाप की अहमियत समझा सके,
वो संस्कार बनना चाहती
हूं...................

आज गरीब दो वक़्त की रोटी के लिए तरस रहा है,
महगाई का कहर दिन व दिन बरस रहा है,
जिसे हर गरीब सुनना चाहता है,
वो समाचार बनना चाहती
हूं .................

मै एक दीपक बनना चाहती हु,
खुद जलकर दुनिया को रोशन करना चाहती
हूं ............

पूजा तोमर

ऐसा लगता है

तेरे आने से ऐसा लगता है,
मेरे अन्दर जो भी कम है,
पूरा कर दोगे तुम........

यू तो कितने लोग पास है मेरे,
होते है रोज़ दोपहर, साँझ, सवेरे,
लेकिन सब कुछ बदल गया है आने से तेरे,
दिल में एक कोना था खाली,
जिसको भर दोगे तुम.......

प्यार के रंग है बड़े निराले,
हम है अभी ढीले ढाले,
इस दुनिया से बेखबर,
कब तक इस दिल को संभाले,
आकर एक दिन इस दिल को,
अपने रंग में रंग दोगे तुम.........

जुड़ गया तुझसे ये मन,
बंध गया देखो प्यार का बंधन,
अब न कभी ये रिश्ता टूटे,
साथ तेरा-मेरा कभी न छूटे,
दिल कहता है इस जनम में ही नहीं हर जन्म में,
मेरा संग दोगे तुम......

आँखों में सपने है,
दिल में है खवाइश,
तुने की है चाहत की बारिश,
हद से जयादा चाहना है ये गुज़ारिश ,
मुझको यकी है मेरी हर चाहत को,
पूरा कर दोगे तुम. .......
जो मेरे अपने है

तेरे आने से ऐसा लगता है,
मेरे अन्दर जो भी कम है,
पूरा कर दोगे तुम........


पूजा तोमर

Saturday, July 17, 2010

दिल की सुनोगे

दिल की सुनोगे तो तुम फसोगे......
एक दिन खुद ही अपना हाल देखकर हसोगे!!

कितने खुश हो ये याद रखना,
इन सब को यादो में आबाद रखना ,
जिस दिन आ गयी मोहब्बत ज़िंदगी में,
इस सब के लिए तरसोगे..........

जब इंसान प्यार में डूब जाता है,
उसे समझदार या पागल में फर्क नहीं नज़र आता है,
अगर समझदार मिला तो बल्ले -बल्ले,
जो पागल मिला तो,
उम्र भर उसका बोझा लेकर चलोगे........

मोहब्बत में खून पिया जाता है,
हर पल मर-मर के जिया जाता है,
अगर खून ज्यादा है,
तभी ये काम करोगे........

दिल की सुनोगे तो तुम फसोगे......
एक दिन खुद ही अपना हाल देखकर हसोगे!!



पूजा तोमर

मोहब्बत

मोहब्बत आग है दामन को बचाकर रखना,
प्यार हो जाये तो सीने में छिपाकर रखना......

हुए बर्बाद मोहब्बत में कहा आबाद होते है,
कही आँख लग जाये अगर,
तो नज़रे चुराए रखना.....

सुना है Lover जिगर का खून पिटे है,
है शौक अगर मिटने का तो,
दिल लगाये रखना.....

कभी आंसू, कभी आंहे,
कभी बेकरारी, कभी तड़प,
यही मिलते है तोहफे प्यार में,
मत भूलना हमेशा याद रखना.....

इसके आड़ में होते है जिस्म के सोदे,
अपनी आबरू बचाए रखना.....

मोहब्बत से बचना है तो,
ज़िंदगी को कामो में उलझाये रखना......


पूजा तोमर

मेरा वक़्त

मेरा वक़्त कुछ इस तरह मेरा इंतेहान लेता है,
पेरो से ज़मीन और सर से आसमान लेता है.........

इस वक़्त ने ही ये सिखाया है,
कैसे मुश्किलों से लड़ा जाता है,
वो हर मोड़ पर काटे देकर जान लेता है....

किस किस को अपनी कहानी कहो,
कैसे जिंदा लाश बनकर में रहो,
कहती हो हर किस को अपनी कहानी,
जब कोई नया मकान लेता है......

मैं जानती हू सच क्या है,
मगर यहाँ हर कोई गलत बयान देता है....

मैं छाव मांगो तो धुप मिलती है,
मैं धुप मांगो तो छाव देता है....

मैं हर काम दिलो जान से करती हू,
पर वक़्त इसे एक अलग ही अंजाम देता है....

यूँ तो आदत सी पड़ गई है,
मगर हर बार ये मुझे भीड़ की जगह मुर्दों का शमशान देता है.....

मेरा वक़्त कुछ इस तरह मेरा इंतेहान लेता है,
पेरो से ज़मीन और सर से आसमान लेता है.........


पूजा तोमर
तरह

मेरा और गम का साथ है,
आँख और काजल की तरह......

प्यार ने ज़िंदगी को बना दिया मरस्थल की तरह,
जहाँ एक बूँद के लिए मैं दोड़ती हो पागल की तरह......

ऐसा लगता में मेरे साथ हे तो,
जब हवा लगती है तेरी खुश्बो की तरह,

ये खुशिया है पल दो पर की,
जब भी इन्हें कैद करना चाहा,
फिसल गए ये मुट्ठी से मखमल की तरह....

छाव अगर मै दो धुप के बदले,
पूजी जायुंगी बरगद की तरह....

उसे अभी ये बतना बाकी है,
उसे पूजा है मेने ईशवर की तरह...

मेरा और गम का साथ है,
आँख और काजल की तरह......

पूजा तोमर

Friday, July 16, 2010

जबाब दे दो

मेरे कुछ सवालों के तुम जबाब दे दो,
मैं ख़ुशी से जी सको, वो एक खाब्व दे दो ....

एक बात बता दो,
फिर चाहे जो सजा दो,
क्यूँ आये थे ज़िंदगी मै अगर जाना ही था,
क्यों दिया चैन हमे जब सताना ही था,
अब तुमने जाना ही है तो चले जायों,
पर मै हस के ज़िंदगी गुजार लो अपनी, मुझे प्यार इतना बेहिसाब दे दो.....

यूँ तो वक़्त के साथ बहुत कुछ बदल जाता है,
चाहो जिसे भुलाना वो बार बार याद आता है,
ना चाहते हुए भी यादो से रिश्ता बन ही जाता है,
कहते है शराब से हर गम भूल जाते है,
हम जिसे पीकर भूल जाये तुम्हे,
वो दवाये शराब दे दो.........

हमने तो चाहा तुमको खुद से जायदा,
जो निभा सके किया वोही वादा,
फिर भी समझ ना आया,
तेरा प्यार क्यों मिल ना पाया,
मैं बदलने के लिए तैयार है,
जिसमे लिखी हो तुम्हारी सारी पसंद,
वो किताब दे दो........

मेरे कुछ सवालों के तुम जबाब दे दो,
मैं ख़ुशी से जी सको, वो एक खाब्व दे दो ....

पूजा तोमर

तुमसे मिलके

तुमसे मिलके ये समझ में है आया,
की पागल था दिल जो मोहब्बत से घबराया ,

न मिलती तुमसे तो कैसे समझती,
है कितना मजबूत चाहत का ये धागा,
न मालुम पड़ता की मोहब्बत में है सबकुछ समाया....

मेरी भी थी चाहत की अम्बर को चुमू,
सितारों की दुनिया में दिन रात घुमु,

तेरी आँखों से अगर टकरा ना जाती,
तो कैसे ये तारा जमी पर मै पाती,

ना मिलती तुमसे तो कैसे ये कहती,
जी तुमको ही खुदा ने मेरे लिए है बनाया,

तुमने ही समझाया है मुझको,
है काशी मोहब्बत, है जन्नत मोहब्बत,
मोहब्बत है सबकुछ , है सबकुछ मोहब्बत

तुमसे ही तो वो नंजरे है पायी,
है जिनमे मोहब्बत की ज्योति समायी,

तो जाना कभी ना सबकुछ भुला के,
मासूम से मेरे दिल को रुलाके,

इस दिल मै जागा कर मोहब्बत,
हमें तुमसे हुए है मोहब्बत,

तुम्ही मेरा जीवन तुम्ही मेरी आशा,

तुमसे मिलके ये समझ में है आया,
की पागल था दिल जो मोहब्बत से घबराया ,


पूजा तोमर

Thursday, July 15, 2010

ऐसे है माँ के हाथ

ऐसे है माँ के हाथ,
बिन बोले जो बिन बोले जो समझ ले दिल की बात,
ऐसे है माँ के हाथ, .........

सब से पहले रब से पहले,
पाया जिसका एहसास मैंने,
जिसको पाकर पाया कुछ खास मैंने,
जिसके सपर्श के साथ बीते दिन और रात,
ऐसे है माँ के हाथ .........

देखा सबसे पहले जिसका चेहरा मैंने,
पाया जिसका प्यार गहरा मैंने,
जिसने मेरी हर गलती सुधारी,
जाग के अपनी रात गुजारी,
चाहे ख़ुशी हो, या हो गम,
हर पल रहे साथ,
ऐसे है माँ के हाथ.........


जिसके सहारे चलना सीखा,
गिरके मैंने संभालना सीखा,
जीवन में आगे बड़ना सीखा,
अच्छे-बुरे को समझना सीखा,
जिसने बनाया मुझे के अच्छा इंसान,
ऐसे है माँ के हाथ.........

जब मै थी बच्ची जब भी वो माँ थी,
आज बड़ी हो जब भी वो माँ है,
उस जैसे दूजी इंसा कहा है,
आज भी मेरे दुःख में रोये,
मेरे साथ जागे साथ ही सोये,
बदलेगी न वो कभी मेरे लिए,
मेरा हमेशा ध्यान हे रखते,
चाहे जो भी हो हालात,
ऐसे है माँ के हाथ.........

दुनिया की सबसे बड़ी दोलत,
सबसे जो है खुबसूरत,
जिससे कोई न अच्छा होगा,
दुनिया में हर खुसनसीब वो बच्चा होगा,
ये दोलत होगी जिसके पास,
ऐसे है माँ के हाथ.........

उसका कभी न दिल तुम दुखाना,
सेवा में उसके जीवन बिताना,
भगवान जी खुद तो आ नहीं पाते,
उसने अपने रूप में दे दी ये सोगात,
ऐसे है माँ के हाथ.........


पूजा तोमर

Wednesday, July 14, 2010

Log chehro se log chehro so pehchan banate hai banate hai, magar hum dil me dil se har dost ko basate hai basate hai, dar lagta hai chehro ki pehchan kahi kho na jaye ye to duniya hai isme kuch bhi kahin ho jaye hum to bus isi darr bus isi darr se hum apna chehra chhipata hai........................ bus isi darr se hum apna chehra chhipata hai

Hum bhi koi bure to nahi hai, bure to nahi hai, humko bus chehre badlana hi nahi aata, magar koi na koi humko is baat ka ehsaas dila deta hai dila deta hai ,jinko apna samjho ek hi pal me yahan unke chehre badal jate hai, badal jate hai, hum to bus isi darr bus isi darr se hum apna chehra chhipata hai........................ bus isi darr se hum apna chehra chhipata hai

Koi aankho ko sagar sa samjh leta hai koi baalo ghata bana deta hai,Koi tumko roop ke devi bata deta hai magar yahi log magar yahi log tumko aansoyon me duba dete hai….. duba dete hai…… hum to bus isi darr bus isi darr se hum apna chehra chhipata hai........................ bus isi darr se hum apna chehra chhipata hai