Wednesday, September 22, 2010



***क्या किजिए दिल का***

क्या करु मै दिल का
इसका तो इश्क़ खुदा है

रहता है मेरे अन्दर
पर मुझ से जुदा है

जितना भी सीच लो इसको
ये तो ना फूला है ना फला है

इसको फूलोँ से क्या लेना देना
ये तो काँटोँ की राह चला है

खुद से होता है ये खुश
करता खुद से ही गिला है

उसको ही समझ लिया अपना
जो इससे हस के मिला है


छोडो भी क्यूँ वक्त बर्बाद करेँ
दिल पर किसका जोर चला 
है

पूजा तोमर

 

Monday, September 20, 2010

*****रात कुछ यु गुजरी*****


हम तो भूल ही गये थे पर तेरी याद आती 
रही रात भर

किसको दू दोष कम्बख्त चांदनी ही दिल दुखाती 
रही रात भर  

चारो तरफ़ थी खमोशी पर तेरी तस्वीर गुन्गुनाती 
रही रात भर  

तू ना आयेगा मालूम था मुझ को फिर भी तूझे बुलाती 
रही रात भर  

एक उम्मीद से दिल बेहला था और एक तमन्ना सताती  
रही रात भर  

आंखो को ही बन्द होना मन्जूर ना था नींद तो सुलाती  
रही रात भर  



पूजा तोमर

Saturday, September 18, 2010

****मेरी कहानी****

डूबने लगे है सारे मका 
चलो अब कश्ती बनाए 

उम्र बिता दी जिनके इन्तज़ार मे 
एक वही ना लौटकर आए 

मेरी मजबूरी तो देखो 
दिल मे भरकर दर्द मुस्काए

जश्न यु मनाया मैने 
जब दिल टूटा दीप जलाए

मेरी कहानी हो जाती है लम्बी 
जब इसे कोई दोहराए
 
प्रेम की रीत है ही कुछ ऐसी 
कुछ नही मागे सब कुछ पाए

उनसे कुछ हमने छिपाया ही नही 
तो कहकर क्यो पछताऐ 


पूजा तोमर
****मेरा रिश्ता****


जिस घर मे हम रहते है, 
वहा होता नही सवेरा, 

आंखे है इन्तज़ार से भरी हर पल,
और दिल मे है एक अनजाने डर का डेरा,

ये मेरा बहम भी हो सकता है,
या फिर दिलबर का आखिरी फैरा,

यु तो बहुत आते है ख्याल दिल में,
पर कोई  ख्वाब नही करता बसेरा,

क्या कहूं किस से है मेरा रिश्ता,
ना मेरा कोई अपना ना पराया कोई मेरा,


पूजा तोमर

Thursday, September 16, 2010

****प्यार का नगमा****


कब थी मै तुझसे जुदा 
रही तेरे साथ सदा 
जमी तो कभी आसमा बनकर

जब भी आंखे तेरी नम हुई
पल मे  सूखा गई उनको 
प्यार का नगमा बनकर   

जब देखा तुझे अन्धेरे मे 
आग लगा दी खुद के बसरे मे 
रोशन कर गई तूझे शमा बनकर 

कभी जब तूझे गमो ने घेरा 
सजदे मे झुक गया सर मेरा 
गम दूर किया खुशी का समा बनकर 


पूजा तोमर

Wednesday, September 15, 2010

***** जियो और जीने दो ****


मोहब्बत ना जाने मजहब, देश और जाति 
इतनी सी बात क्यो समझ नही आती 

जब इशक मे कोइ होता है 
सजदे मे खुदा के होता है 
दुनिया क्यो तोहमत है लगाती? 

ताजमहल भी तो है इसकी निशानी
बात ये सब देशो ने मानी 
जिसके गुण है दुनिया गाती

क्या खून-कत्ल से इशक रुकेगा
मर के  भी ये अमर रहेगा 
गीता कुरान भी तो यही है सिखाती 

अपने झूठे मान के लिये
खोकले खानदान के लिये
छल्ली कर देते है मासुमो की छाती

राधा श्याम भी तो है प्यार का नाम 
जिनको करते है सब प्रणाम
फिर दुजो की मोहब्बत क्यो नही भाति 
 
खुद भी जियो और जीने दो 
सब कुछ छोड दो उपर वाले पर 
जोडीया वही से है बनकर आती 


पूजा तोमर

Monday, September 13, 2010

****बावरा मन****


क्या कहूं की कौन हूं मै
हर मोड पर नया रूप लेना पडता है 
कितना कुछ होता है कहने के लिये 
फिर भी सब चुपचाप सहना पडता है 

बहुत कुछ करने की चाहत है 
मेरे अन्दर मगर तुमसे नही होगा
होसले और भी बड जाते है 
जब कोइ ये बात कहता है

कभी-कभी खुद हार के 
दूसरो को जीता देती हूं
तुम जीत ही नही सकती थी
वो कुछ यूं मेरा शुक्रिया अदा करता है    
 
हर बार समाज का डर 
मुझे मेरी हद दिखा देता है 
पर बावरा मन क्या जाने डर वो  
तो हर बार ये हद पार किया करता है  


पूजा तोमर

Saturday, September 11, 2010

****राज़े मोहब्बत*****




कैसे छिपाये राज़े मोहब्बत 
तन्हाई ने 
सब देखा है 

जिसमे हम रोये रात भर 
उस रजाई ने 
सब देखा है  

हालत ए दिल मेरा मेरी  परछाई  ने  
सब  देखा है

जहां सजदे किये थे
उस खुदाई ने 
सब देखा है

नाम लिखा था तेरा उस कटी 
कलाई ने 
सब देखा है
  
पल 
 भर 
के मिलन और 
सदियो 
की
 जुदाई ने 
सब देखा है

कैसे छिपाये  दुनिया हरजाई 
ने 
सब देखा है
 


पूजा तोमर
****बचना मना है****

कैसे बचेगा मोहब्बत से बन्दे 
ये तो हवा है सांस के साथ 
अन्दर चली जायेगी 
लाख इन्कार कर तो इससे 
जब नज़र मिलेंगी नज़रो से तो 
खुद-बा-खुद हो जायेगी 
खबर तक ना होगी तुझे 
दिल मे घर भी कर जायेगी 
क्या सोचता है तू लैला मजनू
पैदायाशी  थे अरे ये कयामत 
तो भरी जवानी मे आयेगी  



पूजा तोमर

Friday, September 10, 2010

****मेरी मोहब्बत**** 
 
हम भी उससे जुदा होकर जीना नही चाहते थे 
मगर किसी और को भी मुझसे अरमान बहुत है 

कैसे छोड दो मै  जीना 
मेरे आस - पास आज भी 
इन्सान बहुत है 

वो ही ना समझा मोहब्बत को  
वरना सच्ची मोहब्बत के कदरदान बहुत है 

मेरी तो ज़िन्दगी वही था
कह कर जिसने ये ठुकरा दिया  
मुझ पर तो और भी मेहरबान बहुत है

हम ही नही भूल पा रहे उसे 
उसके लिये तो ये आसान बहुत है 



पूजा तोमर

Thursday, September 9, 2010






****मच्छर की महिमा**** 

मच्छर भाई- मच्छर भाई   
क्यो तूने डेंगू, मलेरिया की 
बिमारी फ़ैलाई


कहने को तू है छोटा
तूझमे बीमारीया लाखो समाई 


तेरे डर से गर्मी मे भी 
उड के सोयो रोज़ रजाई 


तेरे चक्कर मे कितनो ने 
हस्पताल मे अपनी जान गवाई 


एक तो तेरा डंक भयानक 
उपर से बडती महगाई 


पहले तो मै ही थी खतरे मे 
अब देश की आन पर बन आई 


बचने के लिये डेंगू से 
घर मे रखो साफ़-सफ़ाई 


हो जाये अगर किसी को 
नियमित रूप से खाओ दवाई


लिखकर उल्टा- पुलटा
मैने ये कवीता बनाई


पूजा तोमर