Sunday, November 28, 2010

***शौक**** 

तू अपना बना या कर दे बेगाना 
हम तूझपर इश्क़ करम करते रहंगे

अगर हो कातिल तूझसा हंसी तो 
हम अदा रकम करते रहंगे  

तू सुन ले की बोल दिया हमने 
मोहब्बत है और हरदम करते रहंगे

ये मोहब्बत और भी  बढती रहेगी
अपनी वफ़ा का हम सितम करते रहंगे

शौक है मिटने  का, आरजू है बरबाद होने की 
हम दिल लहु से लाल सनम करते रहंगे

पूजा तोमर

Tuesday, November 23, 2010

````नज़र````

मत और कुछ दे मुझे मेरे यार बस,
दे दे प्यार की मेरी दुनियाँ संवर जाए,

मै तेरी हूं तू बस मान ले इतना,
कि मेरी चाहत भी निखर जाए,

आज की ये रात सुहानी है बडी,
चांदनी रात मे सितारो पर नज़र जाए,

अब तो अपना ले मुझे कि तेरे नाम की,
बदनामी लेकर दिवानी किधर जाए,

कुछ भी देख लू जालिम लौटकर,
एक तेरे चहरे पर ही नज़र जाए,

मेरी वफ़ा को आज़मा के देख ले,
कि मोहब्बत का कर्ज़ उतर जाए,

तेरी यादो के मोती है आंखो मे मेरी,
साथ इनके दिवानी भी ना बिखर जाए,

अब तो तू देर न कर कुछ सोचने मे,
कि ज़िन्दगी इन्तज़ार मे न गुजर जाए,

तू मेरा हो जा या मुझे कर ले अपना,
इनमे से कोई एक बात ही ठहर जाए...!

पूजा तोमर

Thursday, November 18, 2010

****तेरी अदाए****

दोनो का पलडा एक सा है 
तेरे सितम और मेरी वफ़ाए

फिर भी मेरे मासूम कातिल
तूझे करती है प्यार मेरी दुआए 

इश्क़ तो आंखो से बया हो जाता है 
होठो से फिर चाहे लाख छिपाए  

सच का पता है झूठ की खबर है 
कह देती है सब तेरी अदाए

सब है तेरे पहलू मे जालिम  
किस को दिल का हाल सुनाए

तूने तो  लौटकर आना नही है 
हम क्यो अपना वक़्त गवाए 
पूजा तोमर 

Tuesday, November 16, 2010

****मंजिल**** 

बहुत अजमा लिया वक़्त ने 
अब वक़्त अजमाने के 
दिन आ गए है

बहुत खाली ठोकरे हमने 
अब मंजिल को पाने के
 दिन आ गए है

बहुत सुन लिया और सह लिया 
अब सबको सुनाने के 
दिन आ गए है

अब सब कुछ सरेआम रख दो 
अब लूटने-लूटाने के 
दिन आ गए है

अब छोड दो रोना-रुलाना 
अब हसने- हसाने के 
दिन आ गए है

जो निगाहो से बदनाम करते थे 
उनसे नज़रे चुराने के 
  दिन आ गए है 

फिर से महकने लगी है फ़िज़ा 
अब चमन को सजाने के 
दिन आ गए है

चलो फिर से कही दिल लगाये 
अब दिल को लगाने के 
दिन आ गए है

पूजा तोमर

Tuesday, November 9, 2010

***ख्वाब***

खामोशी तेरी नहीं देती दिल को सुकूं
तुझसे मिल कर भी कुछ फ़ासले रह जाते हैं

रुठ जाओ न कही तुम जो दिल के बात कह दूं
सोचकर इतना मेरे होठ सिल जाते हैं

रात है बन्द है आंखें भी की नींद आजा
यह तसल्ली है की वो ख्वाब में मिल जाते हैं

जिनको हो जाए गुरुर बडे होने का
वो आसमां भी कभी-कभी खाक में मिल जाते हैं

रब की बख्शी हुई नेमत है मेरे यार मुझे
तू साथ है तो हम फूलों से महक जाते हैं



पूजा तोमर

Monday, November 1, 2010

****ज़िन्दगी****

मत जा मेरी दुनिया से तन्हा
रहने का हौसला नहीं बाकी

एक तेरी ही कमी है ज़िन्दगी में
वर्ना दुनिया में क्या नहीं बाकी

मोहब्बत तो आज भी करते हैं लोग
पर पहले सी वफ़ा नहीं बाकी

खून ठंडा सा, लब चुप चुप से है
कि दिल में कोई गिला नहीं बाकी

अब तो मरने दो हुस्न वालों चैन से
कि ज़िन्दगी में पहले सा मज़ा नहीं बाकी


पूजा तोमर