Thursday, December 23, 2010


****ज़ख्म**** 

 मर्ज़ जानते है तो उसकी 
दवा क्यो नही देते 

 मेरी वफ़ा का मुझे कुछ 
 सिला क्यो नही देते

 जो राज़ दिल को ज़ख्म दे रहे है 
उन्हे बता क्यो नही देते 

 जो गम सताते है उन्हे 
मेरे घर का पता क्यो नही देते 

मै हूं नदी तू है सागर
मुझे खुद से मिला क्यो नही देते 

अगर है परेशानी "पूजा" से तो 
 इस नाचीज़ को भूला क्यो नही देते 

 पूजा तोमर

Monday, December 20, 2010

****आदत****

कैसे बहलाओ मै खुद को भला कभी-कभी 
महफ़िल मे भी दिल की वीरानी नही जाती 

मैने माना तुम सही कह् रहे हो मगर
कभी-कभी सही बात भी मानी नही जाती  

मै देखती हूं तुम्हे रोज़ मगर कभी-कभी 
अपनो की सूरत  भी पहचानी  नही जाती 

कभी-कभी लाख कौशिश कर लो 
मगर दिल की परेशानी नही जाती 

दिल भी जनता क्या बुरा है क्या भला 
मगर कभी-कभी आदत पुरानी नही जाती 



पूजा तोमर

Wednesday, December 1, 2010

****कातिल****

थक कर चूर हो गये है 
लम्बे सफ़र से आये है 

मेरे आंगन मे दिये 
तेरी महफ़िल से आये है

हमसफ़ है वो मेरे 
जो बनकर कातिल से आये है 

यू न रुसवा कर हमे जालिम 
हम यहा बडे दिल से आये है 

पूजा तोमर