Wednesday, December 1, 2010

****कातिल****

थक कर चूर हो गये है 
लम्बे सफ़र से आये है 

मेरे आंगन मे दिये 
तेरी महफ़िल से आये है

हमसफ़ है वो मेरे 
जो बनकर कातिल से आये है 

यू न रुसवा कर हमे जालिम 
हम यहा बडे दिल से आये है 

पूजा तोमर 

6 comments:

  1. किस खूबसूरती से लिखा है आपने। मुँह से वाह निकल गया पढते ही।

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  2. हमेशा की तरह बेहतरीन गजल
    वाह वाह वाह

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  3. deepak ji aapka bahut bahut sukriya

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  4. waah bahut sundar pooja ji....
    मैंने अपना पुराना ब्लॉग खो दिया है..
    कृपया मेरे नए ब्लॉग को फोलो करें... मेरा नया बसेरा.......

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  5. Bahut accha likhti hain Pooja G
    Aap khud hi shabdo main utar jaatin hain

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