****ज़िन्दगी****
मत जा मेरी दुनिया से तन्हा
रहने का हौसला नहीं बाकी
रहने का हौसला नहीं बाकी
एक तेरी ही कमी है ज़िन्दगी में
वर्ना दुनिया में क्या नहीं बाकी
वर्ना दुनिया में क्या नहीं बाकी
मोहब्बत तो आज भी करते हैं लोग
पर पहले सी वफ़ा नहीं बाकी
पर पहले सी वफ़ा नहीं बाकी
खून ठंडा सा, लब चुप चुप से है
कि दिल में कोई गिला नहीं बाकी
कि दिल में कोई गिला नहीं बाकी
अब तो मरने दो हुस्न वालों चैन से
कि ज़िन्दगी में पहले सा मज़ा नहीं बाकी
कि ज़िन्दगी में पहले सा मज़ा नहीं बाकी
पूजा तोमर
वाह क्या खूब लिखा है पूजा जी....
ReplyDeleteबस आखिरी दो शेर में "की" को "कि" कर लीजिये...
आप बहुत अच्छा लिखती हैं यूँ ही लिखती रहे..
मेरे ब्लॉग पर इस बार...
कभी कभी....
आपका स्वागत है...
please यह word verification हटा दें....
ReplyDeleteग़ालिब तो कहते की मरे नहीं हो,
ReplyDeleteकी कुछ खाव्वाहिशे है बाकी,
बस थोड़ी खुशनुमा हो जाए,
शायरी आपकी सब बदिया है बाकी
thanks shekhar ji
ReplyDeleteMajaal ji sukriya par ye bus shok hai aur kuch nahi
ReplyDeleteबहुत सुंदर रचना है , मुझे भी कविताये लिखने का शोंक है, मेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है
ReplyDelete<a href="http://sparkindians.blogspot.com> sparkindians.blogspot.com </a>
Bahut sunder rachna .... Pooja..
ReplyDeleteबहुत सुन्दर रचना है पूजा जी ...
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