****आदत****
कैसे बहलाओ मै खुद को भला कभी-कभी
महफ़िल मे भी दिल की वीरानी नही जाती
मैने माना तुम सही कह् रहे हो मगर
कभी-कभी सही बात भी मानी नही जाती
मै देखती हूं तुम्हे रोज़ मगर कभी-कभी
अपनो की सूरत भी पहचानी नही जाती
कभी-कभी लाख कौशिश कर लो
मगर दिल की परेशानी नही जाती
दिल भी जनता क्या बुरा है क्या भला
मगर कभी-कभी आदत पुरानी नही जाती
पूजा तोमर
हमेशा की तरह बेहतरीन गजल
ReplyDeleteवाह वाह वाह
दिल भी जनता क्या बुरा है क्या भला
ReplyDeleteमगर कभी-कभी आदत पुरानी नही जाती
kuch baatein dil ko chu jati hai waise hi ye line dil ko chu gayi ........Badhai
thank you very much deepak ji
ReplyDeleteamrendra ji aap padete hai mujhe bahut accha lgta hai
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