Thursday, December 23, 2010


****ज़ख्म**** 

 मर्ज़ जानते है तो उसकी 
दवा क्यो नही देते 

 मेरी वफ़ा का मुझे कुछ 
 सिला क्यो नही देते

 जो राज़ दिल को ज़ख्म दे रहे है 
उन्हे बता क्यो नही देते 

 जो गम सताते है उन्हे 
मेरे घर का पता क्यो नही देते 

मै हूं नदी तू है सागर
मुझे खुद से मिला क्यो नही देते 

अगर है परेशानी "पूजा" से तो 
 इस नाचीज़ को भूला क्यो नही देते 

 पूजा तोमर

3 comments:

  1. वाह पूजा जी,
    आपमें ग़ज़ल कहने का हुनर है,
    . जो गम सताते है उन्हे
    मेरे घर का पता क्यो नही देते

    महबूब के प्रति इतना समर्पण देख कर अच्छा लगा.

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  2. TUKBANDI TO SAB KARTE HAI GALIB,
    TERA TO ANDAZ-E-BAYA HI KUCH AUR HAI........

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