****किस्से****
किस किस से छिपाऊं मै
हज़ारो किस्से बयां होते है
मेरी घुटती सी आहं मे
मैने गमे- इश्क़ को छिपाया अक्सर
मगर सब साफ़ दिखता है
अश्कों से धुली निगाह मे
किसको समझूं अपना किसे बेगाना
हर कोई हसंकर मिलता है
ज़िन्दगी की राह मे
बिना रुके ही चला गया वो लम्हा
ज़िन्दगी गुजार दी मैने
जिस की चाह मे
ज़िन्दगी तो उसके साथ ही चली गई
अब तो गुजर रही है उम्र
मौत की पनाह मे
very nice.
ReplyDeletewow...pooja ji....bahut achchhe shabd....
ReplyDeleteबिना रुके ही चला गया वो लम्हा
ज़िन्दगी गुजार दी मैने
जिस की चाह मे...
loved it....
किस किस से छिपाऊं मै
ReplyDeleteहज़ारो किस्से बयां होते है
मेरी घुटती सी आहं मे
ज़िन्दगी तो उसके साथ ही चली गई
अब तो गुजर रही है उम्र
मौत की पनाह मे
Lajawaab rachna,,,,badhai sweekar karen