****कलयुग****
दिल्ली की मंत्री शीला
ने कर दिया कंगाली मे आटा गीला
पहले खाकर टमाटर होते थे लाल- लाल
अब लाल रंग पड गया पीला
पहले भोजन पर वार किया
फिर ईंधन भी कर दिया सीला-सीला
ना दुध ताकतवर रहा
ना कोई फल ही रहा रसीला
गरीब बेचारा मारा जा रहा है
यही है कलयुग की रामलीला
खुल के जीना तो ख्वाब था ही
अब मरना भी हो गया खर्चिला
पहले शराब पीकर मरते थे
अब पानी भी हुआ ज़हरीला
झूठी शान के लिये करोडो बर्बाद किये
अब हमारे खून से करेंगे दिल्ली को रंगीला?
व्यंग्य-कविता बहुत अच्छी है.ये आप की पहली कविता है, जिस में इतने तीखे तेवर है.आज इसी की ज़रूरत है. जनता से जुडे मामले हम कितनी शिद्द्त के साथ साहित्य में उठाते है.गरीबी, महंगाई, प्रदूषण,भ्रष्टाचार आदि सभी समस्याओं को प्रमुखता से उठाया है.
ReplyDeleteYou wrote the Universal truth which going on today in our countries capital....Delhi.
ReplyDeleteबद-नसीबी का मैं कायल तो नहीं हूँ लेकिन,
ReplyDeleteमैंने बरसात में झूलते हुए घरों को देखा है !
This is good......covering a lot what is going on...
ReplyDeletecompiling the effect of administration's ill plans....