****अन्धेरा****
जब भी सोचा तुम्हें भुला देंगे,
किसी न किसी बहाने से याद करने लगते है
क्या पता अब भी तुम्हें मेरा इन्तज़ार हो
क्या पता अब भी तुम्हें मेरा इन्तज़ार हो
यही सोचकर तेरी गली से गुज़रने लगते है
जब भी आता है बीता वक़्त याद हमे ,
जब भी आता है बीता वक़्त याद हमे ,
खुश्क आंखो मे आंसु उभरने लगते है
कैसे हो जाते है लोग खाक मोहब्बत मे
कैसे हो जाते है लोग खाक मोहब्बत मे
सच्चे आशिक तो और भी निखरने लगते है
जब कभी नाम तेरा आता है लबो पर,
जब कभी नाम तेरा आता है लबो पर,
फ़िज़ा मे खुद-ब-खुद नगमे बिखरने लगते है
होता है जब अन्धेरा कभी,
होता है जब अन्धेरा कभी,
आसमां के सितारे मेरे दिल मे उतरने लगते है
पूजा तोमर
वाह पहली बार पढ़ा आपको बहुत अच्छा लगा.
ReplyDeleteआप बहुत अच्छा लिखती हैं और गहरा भी.
बधाई.
सार्थक और बेहद खूबसूरत,प्रभावी,उम्दा रचना है..शुभकामनाएं।
ReplyDeleteप्रभावशाली प्रक्तियां हैं...बधाई।
ReplyDeletesanjay ji aapka sukriya
ReplyDeletemahendra ji apna time dene ke liye dil se sukriya
ReplyDeleteWaah pooja ji bahut Khoob .......
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