*****मेरा परिचय*****
मेरा परिचय देती है मेरी कलम
जहां सबका कारवा होता है खत्म
वही से बढते है मेरे कदम
हर उस इन्सा की कद्र करती हूं
गैरो के लिये होती है जिसकी आंखे नम
मै अभी अंजान हूं रास्तो से तो क्या?
जान जाऊगीं अभी ही तो लिया है जन्म
हर शख्स काबिलयत रखता है
कोई ज्यादा तो कोई कम
किसी का साथ नसीब देता है
तो किसी का निभा जाती है कलम
जब भी करती हूं कुछ नया
दिल कहता है "पूजा" तूझमे है दम
पूजा तोमर
BAHUT HI SUNDER PARICHA MIL GYA
ReplyDelete..........POOJA JI
जब भी करती हूं कुछ नया
ReplyDeleteदिल कहता है "पूजा" तूझमे है दम
........बहुत खूब, लाजबाब !
sanjay ji bahut bahut sukriay aap apna link bhej sakte hai
ReplyDeleteहर उस इन्सा की कद्र करती हूं
ReplyDeleteगैरो के लिए होती है जिसकी आंखे नम
बहुत सुन्दर गज़ल
thanks deepak ji
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