हम तो भूल ही गये थे पर तेरी याद आती
रही रात भर
किसको दू दोष कम्बख्त चांदनी ही दिल दुखाती
रही रात भर
चारो तरफ़ थी खमोशी पर तेरी तस्वीर गुन्गुनाती
रही रात भर
तू ना आयेगा मालूम था मुझ को फिर भी तूझे बुलाती
रही रात भर
एक उम्मीद से दिल बेहला था और एक तमन्ना सताती
रही रात भर
आंखो को ही बन्द होना मन्जूर ना था नींद तो सुलाती
रही रात भर
पूजा तोमर
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