***क्या किजिए दिल का***
क्या करु मै दिल का
इसका तो इश्क़ खुदा है
रहता है मेरे अन्दर
पर मुझ से जुदा है
जितना भी सीच लो इसको
ये तो ना फूला है ना फला है
इसको फूलोँ से क्या लेना देना
ये तो काँटोँ की राह चला है
खुद से होता है ये खुश
करता खुद से ही गिला है
उसको ही समझ लिया अपना
जो इससे हस के मिला है
क्या करु मै दिल का
इसका तो इश्क़ खुदा है
रहता है मेरे अन्दर
पर मुझ से जुदा है
जितना भी सीच लो इसको
ये तो ना फूला है ना फला है
इसको फूलोँ से क्या लेना देना
ये तो काँटोँ की राह चला है
खुद से होता है ये खुश
करता खुद से ही गिला है
उसको ही समझ लिया अपना
जो इससे हस के मिला है
छोडो भी क्यूँ वक्त बर्बाद करेँ
दिल पर किसका जोर चला है
दिल पर किसका जोर चला है
पूजा तोमर
बहुत ही मार्के की बात लिखी है कविता में.....पूजा जी !
ReplyDeleteदिल की बात समझाना आसान नहीं........एक गीत बोल याद आये:
"समझने वाले समझ गए, जो ना समझे वो अनाडी है"
जो विगत इतिहास के पन्नो में जाकर सो गया था
ReplyDeleteचेतना की झील के गहरे भंवर में खो गया था
पुष्प जिन स्मृतियों के हम विसर्जित कर चुके थे
भाव श्रद्धा के जिन्हें हम सब समर्पित कर चुके थे
हो गया था इक जमाना जिसकी बीती बात को
नींद से उसने जगाया आज आधी रात को
sahi kaha aapne raj ji
ReplyDeleteआपने कविता अच्छी लिखी हॆ इसमे कोई शक नही...आपके भाव भी लाजवाब हॆ पर हिन्दी लेखन के समय थोडी त्रुटि हो गई हॆ...आप समझदार हॆ अत: आशा करता कि आप उन गलतियो को दूर कर सकेगी..
ReplyDeleteबहुत सुंदर हृदय स्पर्शी कविता
ReplyDeleteहर उस व्यक्ति के मन की बात जो अपनी गलियों चौराहों से अपनों से दूर है
ashish ji aapko bahut bahut sukriya aur me kaushish karongi ki aur bhi accha likho
ReplyDeleteaapko padkar ek hi ehsash hua ki aisa wohi likh sakta hai jisne atma sey pyar ko mahsush kiya ho. ishwar apko shakti de.aise hi likhte rahiye
ReplyDeletechandra pratap ji aapka sukriya mujhe samjhne ke liye
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