Wednesday, September 15, 2010

***** जियो और जीने दो ****


मोहब्बत ना जाने मजहब, देश और जाति 
इतनी सी बात क्यो समझ नही आती 

जब इशक मे कोइ होता है 
सजदे मे खुदा के होता है 
दुनिया क्यो तोहमत है लगाती? 

ताजमहल भी तो है इसकी निशानी
बात ये सब देशो ने मानी 
जिसके गुण है दुनिया गाती

क्या खून-कत्ल से इशक रुकेगा
मर के  भी ये अमर रहेगा 
गीता कुरान भी तो यही है सिखाती 

अपने झूठे मान के लिये
खोकले खानदान के लिये
छल्ली कर देते है मासुमो की छाती

राधा श्याम भी तो है प्यार का नाम 
जिनको करते है सब प्रणाम
फिर दुजो की मोहब्बत क्यो नही भाति 
 
खुद भी जियो और जीने दो 
सब कुछ छोड दो उपर वाले पर 
जोडीया वही से है बनकर आती 


पूजा तोमर

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