Saturday, September 18, 2010

****मेरी कहानी****

डूबने लगे है सारे मका 
चलो अब कश्ती बनाए 

उम्र बिता दी जिनके इन्तज़ार मे 
एक वही ना लौटकर आए 

मेरी मजबूरी तो देखो 
दिल मे भरकर दर्द मुस्काए

जश्न यु मनाया मैने 
जब दिल टूटा दीप जलाए

मेरी कहानी हो जाती है लम्बी 
जब इसे कोई दोहराए
 
प्रेम की रीत है ही कुछ ऐसी 
कुछ नही मागे सब कुछ पाए

उनसे कुछ हमने छिपाया ही नही 
तो कहकर क्यो पछताऐ 


पूजा तोमर

1 comment:

  1. PREM KI REET HAI HI KUCH AISI KI PAYA NAHI JA SAKTA SIRF LUTAYA JA SAKTA HAI.........

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