Monday, November 1, 2010

****ज़िन्दगी****

मत जा मेरी दुनिया से तन्हा
रहने का हौसला नहीं बाकी

एक तेरी ही कमी है ज़िन्दगी में
वर्ना दुनिया में क्या नहीं बाकी

मोहब्बत तो आज भी करते हैं लोग
पर पहले सी वफ़ा नहीं बाकी

खून ठंडा सा, लब चुप चुप से है
कि दिल में कोई गिला नहीं बाकी

अब तो मरने दो हुस्न वालों चैन से
कि ज़िन्दगी में पहले सा मज़ा नहीं बाकी


पूजा तोमर

8 comments:

  1. वाह क्या खूब लिखा है पूजा जी....
    बस आखिरी दो शेर में "की" को "कि" कर लीजिये...
    आप बहुत अच्छा लिखती हैं यूँ ही लिखती रहे..
    मेरे ब्लॉग पर इस बार...
    कभी कभी....
    आपका स्वागत है...

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  2. please यह word verification हटा दें....

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  3. ग़ालिब तो कहते की मरे नहीं हो,
    की कुछ खाव्वाहिशे है बाकी,
    बस थोड़ी खुशनुमा हो जाए,
    शायरी आपकी सब बदिया है बाकी

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  4. Majaal ji sukriya par ye bus shok hai aur kuch nahi

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  5. बहुत सुंदर रचना है , मुझे भी कविताये लिखने का शोंक है, मेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है
    <a href="http://sparkindians.blogspot.com> sparkindians.blogspot.com </a>

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  6. बहुत सुन्दर रचना है पूजा जी ...

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