Tuesday, November 9, 2010

***ख्वाब***

खामोशी तेरी नहीं देती दिल को सुकूं
तुझसे मिल कर भी कुछ फ़ासले रह जाते हैं

रुठ जाओ न कही तुम जो दिल के बात कह दूं
सोचकर इतना मेरे होठ सिल जाते हैं

रात है बन्द है आंखें भी की नींद आजा
यह तसल्ली है की वो ख्वाब में मिल जाते हैं

जिनको हो जाए गुरुर बडे होने का
वो आसमां भी कभी-कभी खाक में मिल जाते हैं

रब की बख्शी हुई नेमत है मेरे यार मुझे
तू साथ है तो हम फूलों से महक जाते हैं



पूजा तोमर

3 comments:

  1. Impressive lines in this Poem about Dreams. Thanks Pooja...continue in future. I like and Love it.

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  2. ruth jao na kahi ....................


    bahut najuk kavita hai man me ek meetha meetha sa dard jaga gayi aapki ye rachna ...........

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  3. रात है बन्द है आंखे भी की नींद आजा
    यह तसल्ली है की वो ख्वाब मे मिल जाते हैं

    वाह वाह ! वाह वाह
    बहुत बढिया शेर

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