``````बसेरा````````
हम बेमकां रह गये.......
कह कर मेरा इन्तजार कर,
वो खुद तो चल दिया,
हम जहाँ थे वहाँ रह गये.......
उसकी मोह्ब्बत किताबी थी,
जब् उस पर मेरे अश्क पडे
तो काले निशां रह गये.......
बहुत सोचकर उन्हे भूलना चाहा,
अश्को के साथ बहना चाहा,
मगर जख्म यादो के अयां रह गये.......
उसके साथ बसने के ख्वाब मे
हम बेमकां रह गये.......
पूजा तोमर
पूजा जी,
ReplyDeleteबहुत संजीदगी से की है आपने "बसेरा" में....प्रेमी के विरह में प्रेयसी की व्यथा
इन लाइनों में.....
"कह कर मेरा इन्तजार कर,
वो खुद तो चल दिया,
हम जहाँ थे वहाँ रह गये......."