अच्छा लगा
आज फिर तेरी याद का आना अच्छा लगा......
आँखों को जब छुआ नमकीन आंसुओ ने
उन तपती आँखों से उठता धुआ अच्छा लगा......
जो आईना मेरे सूरत छिपता था मुझसे
उस धुन्दले आईने का टूटना अच्छा लगा........
चारो तरफ अँधेरा है मगर
दिल के एक कोने मे जलाता हुआ दिया अच्छा लगा........
हम रोते हुए बारिश मे चल रहे थे
ऐसे मे बारिश का रूठना हमसे अच्छा लगा.......
मेरा तो सब कुछ मिट गया
उसके बाद भी देखना तेरा निंशा अच्छा लगा.......
आज फिर से कुछ अच्छा लगा
आज फिर तेरी याद का आना अच्छा लगा......
पूजा तोमर
पूजा जी,
ReplyDeleteबहुत गहरी बात कह दी आपने इन पंक्तियों में.....या हमें भी "अच्छा लगा"
आँखों को जब छुआ नमकीन आंसुओ ने,
उन तपती आँखों से उठता धुआ अच्छा लगा !