Wednesday, October 27, 2010

*****मेरा परिचय*****

मत पूछो मै क्या हूं?
मेरा परिचय देती है मेरी कलम 

जहां सबका  कारवा  होता है खत्म 
वही से बढते है मेरे कदम  

हर उस इन्सा की कद्र करती हूं
गैरो के लिये होती है जिसकी आंखे नम 

मै अभी अंजान हूं रास्तो से तो क्या?
जान जाऊगीं अभी ही तो लिया है जन्म 

हर शख्स काबिलयत रखता है 
कोई ज्यादा तो कोई कम 

किसी का साथ नसीब देता है 
तो किसी का निभा जाती है कलम 

जब भी करती हूं कुछ नया 
दिल कहता है "पूजा" तूझमे है दम 

पूजा तोमर 


5 comments:

  1. जब भी करती हूं कुछ नया
    दिल कहता है "पूजा" तूझमे है दम

    ........बहुत खूब, लाजबाब !

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  2. sanjay ji bahut bahut sukriay aap apna link bhej sakte hai

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  3. हर उस इन्सा की कद्र करती हूं
    गैरो के लिए होती है जिसकी आंखे नम

    बहुत सुन्दर गज़ल

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