Saturday, October 30, 2010


****आलम*****

सांसे थम सी गई थी 
जब सामने से यार हमारा गुजरा था 

लोग भी कहने लगे थे 
खुदा कसम क्या नज़रा गुजरा था  

गमो के मारे भी बोल उठे थे, 
अभी गली से इश्क़ का मारा गुजरा था  

हम तो 
जमाना 
 भूल ही गये थे, 
मेरे करीब से जब वो दोबारा गुजरा था  

हम तो पलको को गिरा भी न सके 
एक ही पल मे आलम सारा गुजरा था  

पूजा तोमर 

4 comments:

  1. वाह वाह वाह वाह

    गमो के मारे भी बोल उठे थे,
    अभी गली से इश्क का मारा गुजरा था

    बहुत बढिया

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  2. देखो बुरा मत मानना,
    मुझे आलम यूँ अच्छी लग रहा है :

    लोग भी कहने लगे थे
    खुदा कसम क्या नज़ारा था....

    ग़मों के मारे भी बोल उठे
    अभी गली में इश्क का मारा था..

    हम तो जमाना भूल ही गए थे.
    मेरे नज़रों के सामने जब वो दुबारा था.

    बाकि आप "गुजरा" पर ज्यादा अटकी है..

    लेकिन है बेहतरीन गज़ल....

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  3. thanks deepak ji comment ke liye baaki kuch cheeze ham dosro se hi sikh pate hai jaise aapse sikhane ko mile thanks

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  4. hum to palko ko gira............

    sunder abhivyakti****

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