Friday, July 16, 2010

तुमसे मिलके

तुमसे मिलके ये समझ में है आया,
की पागल था दिल जो मोहब्बत से घबराया ,

न मिलती तुमसे तो कैसे समझती,
है कितना मजबूत चाहत का ये धागा,
न मालुम पड़ता की मोहब्बत में है सबकुछ समाया....

मेरी भी थी चाहत की अम्बर को चुमू,
सितारों की दुनिया में दिन रात घुमु,

तेरी आँखों से अगर टकरा ना जाती,
तो कैसे ये तारा जमी पर मै पाती,

ना मिलती तुमसे तो कैसे ये कहती,
जी तुमको ही खुदा ने मेरे लिए है बनाया,

तुमने ही समझाया है मुझको,
है काशी मोहब्बत, है जन्नत मोहब्बत,
मोहब्बत है सबकुछ , है सबकुछ मोहब्बत

तुमसे ही तो वो नंजरे है पायी,
है जिनमे मोहब्बत की ज्योति समायी,

तो जाना कभी ना सबकुछ भुला के,
मासूम से मेरे दिल को रुलाके,

इस दिल मै जागा कर मोहब्बत,
हमें तुमसे हुए है मोहब्बत,

तुम्ही मेरा जीवन तुम्ही मेरी आशा,

तुमसे मिलके ये समझ में है आया,
की पागल था दिल जो मोहब्बत से घबराया ,


पूजा तोमर

No comments:

Post a Comment