Friday, July 23, 2010

चे ह रे

लोग चेहरों से पहचान बनाते हैं
मगर हम दिल में,
दिल से
हर दोस्त को बसाते हैं
डर लगता है
चेहरों की पहचान कहीं खो न जाएं
ये तो दुनिया है
इस में कुछ भी
कहीं हो जाए
हम तो बस इसी डर से
अपना चहरा छुपाते हैं

हम भी कोई बुरे तो नहीं है
हम को बस चेहरे बदलना नहीं आता
मगर कोई न कोई हम को
इस बात का अहसास दिला देता है
जिन को अपना समझो
एक ही पल में
यहां उन के चेहरे बदल जाते हैं

कोई आंखों को सागर- सा समझ लेता है
कोई बालों को घटा बना देता है
कोई तुम को रूप की देवी बता देता है
मगर यही लोग
तुम को आंसुओं में डुबो देते हैं

हम तो बस इसी डर से अपना चेहरा छुपाते हैं

पूजा तोमर

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