Saturday, July 31, 2010

कत्ल

जिनको माना था अपना,
कभी उनके चेहरे कभी
दिल बदल गये.......

सागर के यकीन पर हमने
तूफ़ान मे कश्ती उतार दी,
सागर ने तो साथ निभा दिया,
पर साहिल बदल गये.......

मेरा इश्क़ ही मेरी खुदाई थी,
मगर मुझे मिलनी जुदाई थी,
जिसके लिये खुद को बदला,
वो गैरो की खातिर बदल गये.......

एक आखिरी आरजू थी,
की उनकी बाहों मे हम मरे,
मगर मेरा कत्ल भी किश्तो मे हुआ,
खंज़र बदल गये कभी कातिल बदल गये.......

जिनको माना था अपना,
कभी उनके चेहरे कभी
दिल बदल गये.......


पूजा तोमर

2 comments:

  1. मेरा इश्क़ ही मेरी खुदाई थी,
    मगर मुझे मिलनी जुदाई थी,
    जिसके लिये खुद को बदला,
    वो गैरो की खातिर बदल गये.......


    waaah ........kya baat hai
    dil ko chhuti bhavna....

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  2. जिनको माना था अपना,
    कभी उनके चेहरे कभी
    दिल बदल गये.......
    wow lovely

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