Saturday, July 17, 2010

तरह

मेरा और गम का साथ है,
आँख और काजल की तरह......

प्यार ने ज़िंदगी को बना दिया मरस्थल की तरह,
जहाँ एक बूँद के लिए मैं दोड़ती हो पागल की तरह......

ऐसा लगता में मेरे साथ हे तो,
जब हवा लगती है तेरी खुश्बो की तरह,

ये खुशिया है पल दो पर की,
जब भी इन्हें कैद करना चाहा,
फिसल गए ये मुट्ठी से मखमल की तरह....

छाव अगर मै दो धुप के बदले,
पूजी जायुंगी बरगद की तरह....

उसे अभी ये बतना बाकी है,
उसे पूजा है मेने ईशवर की तरह...

मेरा और गम का साथ है,
आँख और काजल की तरह......

पूजा तोमर

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