Monday, July 19, 2010

****तारीफ****

अपने प्यार की क्या तारीफ़ करो,
मुझे हर तारीफ कम सी लगी.....

आँखे प्यार का सागर,
बातें करती है पागल,
उन से जो मिल जाये हो जाये घायल,
उनकी सूरत मुझे एक भ्रम सी लगे......

दिल है प्यार की गागर,
प्यार झलके है हर पल,
देखे जिसको नज़र भर,
उनका हो जाये कायल,
पर उन्हें देखने में हमे शर्म सी लगे......

चेहरा है एक राज गेहरा,
स्वाभाव से चालू ठेहरा,
उसका हर काम नहले पर देहला,
प्यार है वो मेरा पहला-पहला,
उसके बिना बहार भी पतझड़ का मौसम सी लगे.......

भगवान ने दिया है सारा दिमाग उनको,
समेटा हुआ है अपने अन्दर गुण को,
बिन बोले आँखों से सब कह जाते,
बिन कहे हमारी हर बात समझ जाते,
उनकी हर बात, हर अदा,
सुलझी उलझन सी लगे.......

उनके बिना हम जीने की सोच भी नहीं सकते,
उनके बिना हर ख़ुशी नम-नम सी लगे.........

अपने प्यार की क्या तारीफ़ करो,
मुझे हर तारीफ कम सी लगी.....

पूजा तोमर

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