Monday, August 2, 2010

.....पल.....

जाते-जाते मेरा वक़्त मुझसे बोला
जीले तो जी भरके
हसले तू खुलके
मै फिर ना आऊगां

तेरा मेरा साथ
इतना ही था बस
मेरे लिये कल जायेगी तरस
यादे बनकर तुझको रुलाऊगां

क्यो इन्तजार मे बैठी है बेवजह
उसके दिल मे नही तेरे लिये जगह
देरी ना तो कर, जीले तो इस पल
मै कल तक ना रुक पाऊगां

जिस कल की चाह मे
तू मुझको खो रही है
मै ही था वो कल
अब बीता कल बन जाऊगां

पूजा तोमर

1 comment:

  1. Beautiful....'जीले तो जी भरके....
    what a nice description of 'moment'....
    'kal-aaj-kal' superb.....
    loved this so simple and well connected poem

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