Friday, August 20, 2010

****दोस्ती****

दोस्ती के लिये ना जमी ना आसमान हो
बस मेरा दोस्त मुझ पर महरबान हो

क्या मांगो उस खुदा से
बस मेरा दोस्त मेरी दोस्ती का कदरदान हो

मेरी कमी को दिल से स्वीकारे
वो एक ऐसा इन्सान हो

जो सच है वही चेहरा दिखाये
मेरे दिल का पूरा ये अरमान हो

खुदा का रूप होता है दोस्त
उस पर कुर्बान दिलो जान हो

छोटा सा शब्द है ये
पर सबके दिल मे इसके
लिये सम्मान हो

वो करे ना दोस्ती जो निभा ना सके
जारी ये फरमान हो

पूजा तोमर

3 comments:

  1. Aapki is kavita se dosti ka arth saaf jhalakta hai.....Ishwar kare aap apne aur wo bhi dosti ka arth samajh ke nibha len.

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  2. जय साईँ राम ,दोस्त .....कितना अच्छा लगता है जब आप को पाता हूँ ..ऐसे लगता है की जैसे जीवन का अर्थ जीवन का पथ मिल गया हूँ ....हम क्या क्या नहीं लिखते दोस्ती पर ...दोस्त यह दोस्त वह ..पर मेरा कहना है दोस्त साँसे ......हर सांस जैसे दोस्तों के नाम की है उनकी दुआ की है उनके प्यार की है ....बहुत से रिश्ते है बहुत बहुत खुबसूरत बहुत अटूट उनमे से एक खून का न हो कर जो है सबसे मजबूत वह है दोस्त तेरा ...हर पल की खबर हर राह की मंजिल दोस्त तेरे संग पा सकते है हर राज का हकदार हर बात का राजदार दोस्त तुम ....हर ख़ुशी हर सुख हर दुःख सबसे पहले तुझसे ही बंटाना ......अजीब सी कशिश तेरे नाम की ...शुरवात प्यार की राह की दोस्ती के नाम से .....माँ दोस्त भाई दोस्त बहन दोस्त बच्चे दोस्त ..दोस्त यह रिश्ते खून के जो बने फिर दोस्त...सभी दोस्त पर तुम ..फिर भी सबसे अजीज दोस्त क्यूँ की तुम खून के रिश्ते न हो कर भी तुम निभाते उस से बढकर साथ जीवन की राह का दोस्त ....आया इस भूमि पर दो इंसानों के मिलन से ...पर जाना चार कंदों पर ...जो एक दिन तुमने ही ले कर जाना दोस्त.....

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