Friday, August 27, 2010


****बंसी की मधुर सुना दो तान****



कान्हा मोहे बंसी की मधुर सुना दो तान
मै हूं तेरी प्रेम दीवानी अब तो लो पहचान

तुझ संग जबसे नैन लगाये
मां बाबुल मोहे कुछ ना भाये
तुझसे मिलन को व्याकुल है
बस मेरे कैदी प्राण

भूल गई सब प्रीत मे तेरी
पंथ निहारे पल-पल आंखिया मेरी
मेरी प्रीत से ओ निरमोही
अब ना बनो अनजान

लाज-शरम सब छोड के बैठी
बन्धन सारे तोड के बैठी
पीडा मेरी कुछ तो समझो
मोहे चरणो मे दे दो प्रभू स्थान

पूजा तोमर

1 comment:

  1. Bahut sunder...Meera ki jhalak aati hai.....
    samarpaN.....

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