Friday, August 6, 2010

****दर्द****

वफ़ा ने ऐसा दर्द दिया हमको
पाकर जिसे भूल गये हर गमको

बेदम हो गये सहते- सहते
चुप हो गये कहते-कहते
अश्क भी सूख गये बहते-बहते
गर मिला खुदा तो पूछुगीं
किस बात की सजा मिली है मुझको

बस मे नही तुझे भूलाना
भरनी है आहे लेकर तेरा बहाना
मेरी हर आह मे है तेरा फसाना
याद भी ना कर पाई तुम को
भूल कर भी मौत ना आई हमको

खुद से तो हज़ार शिकवे है
एक मगर तुझसे है
क्यो दिल मे तूने प्यार जगाया
क्यो तू दिल मे रहने आया
सब कुछ भूलाकर भी भूल ना पायी तुझको

होंगे जब तन्हा
याद तुझे बहुत करेंगे
पर आंसू ना गिरेंगे
भीतर-भीतर ही रोयंगे और घुटेगें
जलकर भी, घुटकर भी, रोकर भी
मिलेगा एक अजीब सा सुंकू दिल को

तू भुला सके तो भुला देना मुझे
दुआ है हर खुशी मिले तुझे
मैने तो चाहा तुझे दिल से
बाकी खुदा की मर्जी है कौन मिले किसको

पूजा तोमर

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