Tuesday, August 3, 2010

****स्वर्ग- नरक****

चहरे पे चहरे लगाया ना करो
करके बरबाद किसीकी दुनिया
आगे ना बढों

बदी का अंजाम नेकी नहीं होता
उसकी नज़र से कुछ छुपा नहीं होता
जिसकी गुलाम है हर शै
उस खुदा से तो डरो

पैसा कितना भी कमा लो
नेकी के आलवा कुछ नहीं
साथ जाता चाहे लाख
कोशिश तुम करो

हमेशा याद रखो
जो करना है वही भरना है
यही पर सब है स्वर्ग- नरक
ना संभल पाऊ इतनी देरी ना करो

पूजा तोमर

3 comments:

  1. wow...loved reading.....
    'नेकी के आलवा कुछ नहीं साथ जाता...'
    tells all what a person needs for peace of mind....

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  2. बहुत गहरी बात कह दी....काश लोग नेकी और बदी को समझ लें ?

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  3. शायद मैं गलत था। शब्दों को और गहराई से पढ्ता तो ठीक रहता। कवि ही अपनी कविता की सही आलोचना कर सकता है। कमियां सब मैं रहती हैं, गलती सब से होती है। इतनी अच्छी रचना के लिये तहे-दिल से बधाई।

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